फैज़ की गिनती उन शायरों में होती है, जिन्होंने पाकिस्तान की हुकूमत के खिलाफ हल्ला बोला था, आज की पीढ़ी भले ही उनसे इतना वाकिफ ना हो लेकिन कविता-शायरी के जानने वालों से लेकर सोशल मीडिया की गलियों तक में उनके शेर हमेशा जिंदा रहते हैं।
फैज़ अहमद फैज़ का जन्म 13 फरवरी, 1911 में पंजाब के सियालकोट जिले (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।
इस मामले पर जावेद अख्तर ने चुप्पी तोड़ी है और मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि फैज अहमद फैज को हिंदू विरोधी कहना बहुत ही बेतुका और अजीब है।
समझने वाली बात ये है कि फैज ने ये कविता फौजी हुकूमत के खिलाफ पाकिस्तान के संदर्भ में लिखी थी। जिसमें खुदा और अल्लाह का जिक्र आना भी स्वाभाविक है। जहां तक किसी धर्म के विरोध की बात है। तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि ये कविता पाकिस्तान की सत्ता के खिलाफ लिखी गई है, न कि किसी धर्म के खिलाफ। बहरहाल आईआईटी कानपुर फैज की कविता के पंक्तियां के पेज से मतलब निकालने पर आमादा है। फैकल्टी सदस्यों और कुछ छात्रों की शिकायत पर ऐसा किया जा रहा है। नाराजगी इस बात से है कि जामिया कैंपस में पुलिस कार्रवाई के बाद छात्रों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए कानपुर के छात्रों ने जुलूस निकाला था। उसी जुलूस में फैज अहमद फैज की कविता गाई गई थी।