नई दिल्ली। स्ट्राबेरी की खेती को लेकर किसानों में बढ़ती जिज्ञासा के मद्देनजर केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में 30 और 31 अक्टूबर को स्ट्राबेरी उत्पादन कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार लखनऊ की परिस्थितियो में स्ट्राबेरी की खेती करने के लिए सामान्य पैकजो में कुछ सावधानियों और संशोधन की आवश्यकता होती है।
यदि विभिन्न कारणों से इसकी सही ढंग से खेती नहीं की जाती है, तो मुनाफा कम हो सकता है और कभी-कभी नुकसान की भी आशंका होती है। कार्यशाला में रोपण सामग्री की व्यवस्था, उत्पादन तकनीक, पैकेजिंग और विपणन जैसे विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जायगी। प्रशिक्षण में प्रयोगिक सत्र भी आयोजित किया जायगा। यह कार्यशाला उत्तर भारत में स्ट्राबेरी के व्यावसिक उत्पादन को बढकवा देने के साथ-साथ घर में आकर्षक और सुस्वाद फसल को उगाने में किचन गार्डन प्रेमियों के लिए सहायक होगी । वर्तमान में स्ट्राबेरी की खेती साधन सम्पन्न किसानों की मानी जाती है।
इसकी खेती में लागत खर्च अधिक है और इसके लिए अधिक श्रमिकों की जरुरत होती है । इसके पौधे और संबंधित वस्तुओं के लिए अधिक कीमत देनी होती है। संस्थान ने स्ट्राबेरी को लेकर कई कार्यशालाओं और प्रदर्शनी का आयोजन किया है जिससे इसकी खेती की तकनीकी जानकारी किसानों को मिल सके और उनके उत्पाद का बाजार विकसित हो सके। किसान पूरी तरह से तैयार नहीं हो तो इसकी खेती कई बार जोखिम भरी होती है।
अनुसूचित जाति के किसानों को इसकी खेती के लिए आकर्षित किया गया है। इसके लिए उचित किस्म के पौधों का चयन जरुरी है। इसके लिए बागवानी विश्वविद्यालय सोलन हिमाचल प्रदेश का सहयोग लिया गया है । खेती के लिए हर वर्ष हिमाचल प्रदेश से स्ट्राबेरी के पौधों को यहां मंगाया जाता है। उत्तर प्रदेश के बाजरों में स्ट्राबेरी को लेकर लोगों में आकर्षण बढा है जिसके लिए गुणवतपूर्ण फलों का होना जरुरी है। लोग इसका पर्याप्त मूल्य देने को भी तैयार हैं।