मुलायम ने साठ सालों तक अनवरत राजनीति के थपेड़े झेलकर सियासत में यह मुकाम बनाया था। वह तब तक देश की राजनीति पर धूमकेतु की तरह चमकते रहे, जब तक कि उन्होंने स्वयं अपने पुत्र अखिलेश यादव को उत्तराधिकारी के रूप में आगे नहीं किया था।
कुछ वर्षों पहले की ही बात है जब समाजवाद अथवा समाजवादी पार्टी का नाम आता था तो मुलायम सिंह का चेहरा अनायास ही आंखों के सामने उभर कर आ जाता था। मुलायम सिंह वह नाम था जो अपने बल पर सियासत की लम्बी यात्रा करते हुए शून्य से शिखर तक पहुंचे थे। अपनी समाजवादी पार्टी को खून−पसीने की मेहनत से खड़ा किया था। मुलायम ने लगभग साठ सालों तक अनवरत राजनीति के थपेड़े झेलकर सियासत में यह मुकाम बनाया था। वह तब तक देश की राजनीति पर धूमकेतु की तरह चमकते रहे, जब तक कि उन्होंने स्वयं अपने पुत्र अखिलेश यादव को उत्तराधिकारी के रूप में आगे नहीं किया था। मुलायम सिंह के बारे में यहां तक कहा गया कि वह कायदे से हिंदी भी नहीं बोल पाते थे जिसकी जरूरत एक अदद बड़े राजनेता को हमेशा रहती है, फिर भी उन्होंने एक पार्टी बनाई, उसे यहां तक पहुंचाया।